जानिए, बिना तोड़-फोड़ के कैसे करें रसोई घर का वास्तु दोष दूर BY VASTUANKKIT 8789364798
किचन के लिए घर की दक्षिण-पूर्व दिशा (आग्नेय-कोण) को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। विकल्प के रूप में आग्नेय दिशा की तरफ पूर्व में या फिर उत्तर-पश्चिम दिशा की तरफ पश्चिम दिशा में भी रसोई का निर्माण कर सकते हैं। लेकिन भूलकर भी दक्षिण-पश्चिम दिशा में किचन नहीं रखनी चाहिए,यहाँ किचन का होना एक बड़ा वास्तु दोष है। इस दिशा में किचन होने से व्यक्ति अपने कौशल का इस्तेमाल नहीं कर पाता है जिस वजह से उसे अपने करियर में अस्थायित्व और घर-परिवार में खराब रिश्तों का सामना करना पड़ सकता है,यहाँ तक की बच्चों के विवाह में देरी हो सकती है। रसोई का इस दिशा में होना घर में अनावश्यक खर्चों को बड़ा सकता है।इसके आलावा घर के सदस्यों में रोग,दुर्घटना,संतान के प्रति चिंता भी इस दिशा में किचन होने का कारण हो सकते हैं।
आंतरिक सज्जा से उपाय-BY VASTUANKKIT 8789364798
उपाय के तौर पर किचन को सही दिशा में ही व्यवस्थित करें और यदि ऐसा करना संभव नहीं हो पा रहा है तो आप बिना तोड़-फोड़ के रसोई की आंतरिक व्यवस्था को वास्तु के अनुरूप करके वास्तुदोष को दूर कर सकते हैं।
रसोई घर में चूल्हा आग्नेय कोण में रखना चाहिए और खाना पकाने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना भी आवश्यक है,इससे धन की वृद्धि तथा स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
पीने योग्य जल का भंडारण व हाथ धोने के लिए नल ईशान कोण में होना चाहिए।
रसोई में सिंक यानि कि बर्तन धोने की दिशा के लिए उत्तर-पश्चिम दिशा शुभ मानी गई है।
टोस्टर,गीजर या माइक्रोवेव,ओवन आग्नेय कोण में रखना आपके लिए लाभदायक होगा।
मिक्सर,आटाचक्की,जूसर आदि आग्नेय कोण के निकट दक्षिण में रखना शुभ माना गया है।
यदि रेफ्रीजिरेटर रसोई में रखना है तो इसे दक्षिण या पश्चिम दिशा की ओर रखें,ईशान या नैऋत्य कोण पर कदापि नहीं रखना चाहिए।
मसाले के डिब्बे,बर्तन,चावल,दाल,आटा आदि के डिब्बे दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम में रखना वास्तु सम्मत है।
खाली सिलेंडर नैऋत्य कोण में रखें एवं प्रयोग होने वाला सिलेंडर दक्षिण दिशा की ओर रखें।
वास्तु के अनुसार रसोई की दीवारों का रंग हल्का नांरगी के साथ क्रीम कलर करवाना शुभता में वृद्धि करेगा।रसोईघर में काले और नीले रंग के प्रयोग से बचना चाहिए। वास्तुशास्त्र मानता है कि काले रंग के प्रयोग से किचन में नकारात्मक ऊर्जा का निवास हो जाता है साथ ही घर में आर्थिक हानि होने की भी संभावना बढ़ जाती है।अगर आप के घर में पहले से काले रंग का पत्थर लगा हुआ है तो आप इसके दुष्प्रभाव से बचने के लिए किचन में स्वास्तिक बना सकते हैं इससे वहां का वातावरण सकारात्मक हो जाएगा।
अन्य जरूरी टिप्स-BY VASTUANKKIT 8789364798
आपकी किचन यदि वास्तु सम्मत दिशा में नहीं है तो आप इस वास्तुदोष को दूर करने के लिए किचन की दक्षिण-पूर्व दिशा में एक लाल बल्ब लगा दें और इसको हमेशा जलने दें।
किचन और बाथरूम कभी भी एक सीध में नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे परिवार के लोगों का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और जीवन में अशांति है।यदि ऐसा है तो इससे बचने के लिए बाथरूम में खड़ा नमक एक कांच की कटोरी में रखें और समय-समय पर इसे बदलते रहें।
सकारात्मक ऊर्जा के स्तर को बढ़ाने के लिए रसोईघर की पूर्व या उत्तर की दीवार पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाना बहुत शुभ माना गया है।
घर में बरकत के लिए पहली रोटी गौ माता की एवं सबसे बाद में एक रोटी कुत्ते के लिए निकालनी चाहिए।
रसोईघर यदि ऐसा नहीं है तो हो जाएंगे बर्बाद
रसोईघर अर्थात किचन को वास्तु अनुसार बनाना जरूरी है अन्यथा यह रोग, शोक और धन की बर्बादी का कारण बन सकता है। आओ जानते हैं कि ज्योतिष, वास्तु और हिन्दू शास्त्र रसोईघर के बारे में क्या कहते हैं।
रसोईघर की दिशा-BY VASTUANKKIT 8789364798
- वास्तु विज्ञान के अनुसार रसोईघर आग्नेय कोण में होना शुभ फलदायी होता है। यदि ऐसा नहीं है तो इससे घर में रहने वाले लोगों की सेहत, खासतौर पर महिलाओं की सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। अन्न-धन की भी हानि होती है। इससे पाचन संबंधी अनेक बीमारियां हो सकती हैं।
- जिस घर में रसोईघर दक्षिण-पूर्व यानी आग्नेय कोण में नहीं हो तब वास्तु दोष को दूर करने के लिए रसोई के उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सिंदूरी गणेशजी की तस्वीर लगानी चाहिए। यदि आपका रसोईघर अग्निकोण में न होते हुए किसी ओर दिशा में बना है तो वहां पर यज्ञ करते हुए ऋषियों की चित्राकृति लगाएं।
- चूल्हा आग्नेय में, प्लेटफॉर्म पूर्व व दक्षिण को घेरता हुआ होना चाहिए। वॉश बेसिन उत्तर में हो। भोजन बनाते समय मुख पूर्व की ओर हो, उत्तर व दक्षिण में कतई नहीं।
किस दिशा में क्या रखें-BY VASTUANKKIT 8789364798
- रसोईघर में पीने का पानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना चाहिए।
- रसोईघर में पानी और आग को कभी भी पास पास नहीं रखना चाहिए।
- रसोईघर में गैस दक्षिण-पूर्व दिशा में रखनी चाहिए।
- रसोईघर में भोजन करते समय आपका मुख उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- डाइनिंग टेबल दक्षिण-पूर्व में होनी चाहिए। मकान में अलग डायनिंग हॉल की व्यवस्था की है तो वास्तु अनुसार किसी मकान में डायनिंग हॉल पश्चिम या पूर्व दिशा में होना चाहिए।
- भवन के ईशान व आग्नेय कोण के मध्य पूर्व में स्टोर का निर्माण किया जाना चाहिए।
- माइक्रोवेव, मिक्सर या अन्य धातु उपकरण दक्षिण-पूर्व में रखें। रेफ्रिजरेटर या फ्रीज उत्तर-पश्चिम में रख सकते हैं।
- रसोईघर में यदि झाडू, पौंछा या सफाई का कोई सामान रखना है तो नैऋत्य कोण में रख सकते हैं।
- डस्टबिन को रसोईघर से बाहर ही रखें।
कैसा हो रसोईघर-BY VASTUANKKIT 8789364798
- रसोईघर खुला-खुला और चौकोर होना चाहिए।
- इसके फर्श और दीवारों का रंग पीला, नारंगी या गेरूआं रखें।
- नीले या आसमानी रंग के प्रयोग से बचना चाहिए।
- रसोईघर आग्नेय कोण में होना चाहिए।
- पूर्व में खिड़की और उजालदान होना चाहिए।
- प्लेटफार्म का रंभ भी वास्तु के अनुसार होना चाहिए।
- ईशान कोण में जल को रखने का स्थान बनाएं।
- रसोईघर में पूजा का स्थान बनाना शुभ नहीं होता।
- मॉड्यूलर किचन बनाएं तो किसी वास्तुशास्त्री से पूछकर बनाएं।
- रसोईघर के पास बाथरूप या शौचालय कतई ना बनाएं।
- रसोइघर में टूटे फूटे बर्तन, अटाला या झाडू ना रखें।
- रसोईघर में एग्जॉस्ट फैन जरूर लगाएं।
- रसोई में हरा, मेहरून या फिर सफेद रंग के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
- सिंक और चूल्हा एक ही प्लेटफार्म पर न हो और खिड़की के नीचे चूल्हा न हो।
- चूल्हा के उपर किसी तरह का शेल्फ नहीं होना चाहिए।
रसोईघर में हो कैसे बर्तन-BY VASTUANKKIT 8789364798
- रसोईघर में में स्टील या लोहे के बर्तन के बजाय पीतल, तांबे, कांसे और चांदी के बर्तन होना चाहिए।
- लोहे के बर्तन खाना पकाने के लिए सबसे सही पात्र माने जाते हैं। शोधकर्ताओं की माने तो लोहे के बर्तन में खाना बनाने से भोजन में आयरन जैसे जरूरी पोषक तत्व बढ़ जाते हैं।
- पीतल के बर्तन में भोजन करना, तांबे के बर्तन में पानी पीना अत्यंत ही लाभकारी होता है। हालांकि बाल्टी और बटलोई पीतल की होना चाहिए। एक तांबे का घड़ा भी रखें।
- इसके अलावा घर में पीतल और तांबे के प्रभाव से सकारात्मक और शांतिमय ऊर्जा का निर्माण होता है। ध्यान रहे कि तांबे के बर्तन में खाना वर्जित है।
- किचन में प्लाटिक के बर्तन या डिब्बे तो बिल्कुल भी नहीं होना यह आपके किचनी ऊर्जा भी खराब करते हैं साथ ही इसका आपकी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव गिरता है।
- किचन में जर्मन या एल्यूमीनियम में किसी भी प्रकार का खाना नहीं बनाना या पकाना चाहिए यह सेहत के लिए घातक होता है। इससे चर्मरोग और कैंसर जैसे रोग हो सकते हैं। हालांकि जर्मन में आप दही जमा सकते हैं।
- हालांकि आजकल स्टेनलेस स्टील बर्तन में खाने का प्रचलन बढ़ गया है। यह भी साफसुधरे और फायदेमंद रहते हैं। स्टेनलेस स्टील एक मिश्रित धातु है, जो लोहे में कार्बन, क्रोमियम और निकल मिलाकर बनाई जाती है। इस धातु में न तो लोहे की तरह जंग लगता है और न ही पीतल की तरह यह अम्ल आदि से प्रतिक्रिया करती है।
रसोईघर के नियम-
- रसोईघर में किचन स्टैंड के ऊपर सुंदर फलों और सब्जियों के चित्र लगाएं। अन्नपूर्णा माता का चित्र भी लगाएंगे तो घर में बरकत बनी रहेगी।
- चींटियों-कॉकरोचों, चुहे या अन्य प्रकार के कीड़े मकोड़े किचन में घुम रहे हैं तो सावधान हो जाइये, यह आपकी सेहत और बरकतर को खा जाएंगे। किचन को साफ-सुथरा और सुंदर बनाकर रखें।
- जब भी भोजन खाएं उससे पहले उसे अग्नि को अर्पित करें। अग्नि द्वारा पकाए गए अन्न पर सबसे पहला अधिकार अग्नि का ही होता है।
- भोजन की थाली को हमेशा पाट, चटाई, चौक या टेबल पर सम्मान के साथ रखें। खाने की थाली को कभी भी एक हाथ से न पकड़ें। ऐसा करने से खाना प्रेत योनि में चला जाता है।
- भोजन करने के बाद थाली में ही हाथ न धोएं। थाली में कभी जूठन न छोड़ें। भोजन करने के बाद थाली को कभी किचन स्टैंड, पलंग या टेबल के नीचे न रखें, ऊपर भी न रखें। रात्रि में भोजन के जूठे बर्तन घर में न रखें।
- भोजन करने से पूर्व देवताओं का आह्वान जरूर करें। भोजन करते वक्त वार्तालाप या क्रोध न करें। परिवार के सदस्यों के साथ बैठकर भोजन करें। भोजन करते वक्त अजीब-सी आवाजें न निकालें।
- रात में चावल, दही और सत्तू का सेवन करने से लक्ष्मी का निरादर होता है अत: समृद्धि चाहने वालों को तथा जिन व्यक्तियों को आर्थिक कष्ट रहते हों, उन्हें इनका सेवन रात के भोजन में नहीं करना चाहिए।
भोजन सदैव पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए। संभव हो तो रसोईघर में ही बैठकर भोजन करें इससे राहु शांत होता है। जूते पहने हुए कभी भोजन नहीं करना चाहिए।
- किचन के नल से पानी का टपकना आर्थिक क्षति का संकेत है। घर में किसी भी बर्तन से पानी रिस रहा हो तो उसे भी ठीक करवाएं।
-सप्ताह में एक बार किचन में (गुरुवार को छोड़कर) समुद्री नमक से पोंछा लगाने से घर में शांति रहती है। घर की सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होकर घर में झगड़े भी नहीं होते हैं तथा लक्ष्मी का वास स्थायी रहता है।
निम्नलितिख वस्तुओं में कुछ पूजन सामग्री है तो कुछ खाने योग्य वस्तुएं हैं जो सेहत को सही रखती है। इसके और भी फायदे हैं। हालांकि इन सभी वस्तुओं के महत्व और उपयोग को विस्तार से जानना चाहिए। यहां सिर्फ नाम भर लिखे जा रहे हैं।
पंचामृत, नीम की दातून, गोखरु का कांटा, यज्ञोपवीत, अक्षत, मौली, अष्टगंध, दीपक, मधु, रुई, कपूर, धूपबत्ती, नारियल, लाल चंदन, केशर, कुश का आसन, मोटे कपड़े की दरी, इत्र की शीशी, कुंकू, मेहंदी, गंगाजल, खड़ी, हाथ का पंखा, सत्तू, पंचामृत, चरणामृत, स्वस्तिक, ॐ, हल्दी, हनुमान तस्वीर, गुढ़, लच्छा, बताशे, गन्ना, खोपरा, स्वच्छ दर्पण, तांबे का लोटा, बाल हरण, बड़ी इलाइची, ईसबगोल, शहद, मीठा सोडा, कलमी सोडा, चिरायता, नाव (औषधी), नीम तेल, तिल्ली का तेल, एलोविरा, अश्वगंधा, आंवला, गिलोई, अखरोट, बादाम, काजू, किशमिश, चारोली, अंजीर, मक्का, खुबानी, पिस्ता, खारिक, मूंगफली, मुलहठी, बेल का रस, नीबू, अदरक, बादाम तेल, काजू का तेल, खसखस, चारोली का तेल, नीम का तेल, अरंडी का तेल, आदि।
उपरोक्त सभी औषधियों के चमत्कारिक लाभ को आप यदि जानेंगे तो निश्चित ही इन्हें रखने पर मजबूर हो जाएगी।BY VASTUANKKIT 8789364798
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