शनि गुरु का सम्बंध VASTU ANKIT 8789364798

 #शनि_गुरु_का_सम्बंध_अर्थात_कर्म_प्रचारित_होना 


#मुकदमेबाजी_में_फंसना_सजा_होना_जेल_जाना_और #मुदमेबाजी_में_बरी_होना_सजा_से_मुक्त_होना_जानिए_कैसे-


जब भी जातक की कुंडली में लग्न कुंडली से शनि या गुरु की राशि में गोचर में शनि गुरु की युति हो जाए या शनि गुरु का दृष्टि सम्बन्ध बन जाए तो या शनि गुरु की राशि मे और गुरु शनि की राशि मे 1 अंश के अंतर पर आ जाए तो निश्चित है उस गोचरकाल मे जातक द्वारा किये गए कर्मो का खुलासा हो ही जाता है , फिर कर्म चाहे जैसे हो ।

अगर गुरु उत्तम है कुंडली में तो मार्ग सही मिलेगा और शनि प्रभावी है तो दण्ड प्रखर होगा।

इसका कारण है गुरु धर्म - कर्म का स्वरूप है , और शनि न्याय है कर्म का कारक है जब शनि गुरु एक दूसरे से गोचर में मिलते है तो गुरु आचार्य का कार्य करते हुए गलतियों को सुधारने के लिए प्रेरित मार्ग उतपन्न करता है और शनि कर्मो का मूल्यांकन कर पूर्व कर्मो का दण्डविधान निश्चित करता है , ताकि जातक पश्चाताप कर पूर्व कर्मबन्ध से बाहर आ सके और पुनः सात्विक गुरु पद्धति को अपना सके, निश्चित है पश्चाताप तभी होगा जब कर्म जगजाहिर होंगे ।

किसी जातक की कुंडली मे शनि न्यायालय का रूप बताते है इसका तातपर्य यह है कि शनि की स्थिति निर्धारित करती है कि न्याय का विधान उच्च न्यायालय में होगा  या निम्न । और गुरु जिसे उस दशाकाल के अंतर्गत गोचर में देख रहा होगा जज उस ग्रह के अनुकूल निर्णय देता है। और यदि शनि बुध एक साथ हो तो निर्णय ऐतिहासिक हो जाता है। राहु गुरु का साथ आना अर्थात जातक की झूठी बातो पर भी जज को यकीन हो जाएगा और वह झूठा फैसला भी सुना देता है । परन्तु यदि गोचर में मंगल आ जाए और जातक की कुंडली मे 3,6,8,12 का सम्बंध मंगल से हो जातक का झूठ खुल जाता है और उसे जेल होने की स्थिति प्रबल हो जाती है।  जेल होना या न होना इस बात पर निर्भर करता है कि जातक की कुंडली मे अन्य ग्रहों की क्या स्थिति है।

परन्तु अच्छे कर्म होने की स्थिति में जब यह स्थिति आती है तो जातक पुरस्कृत भी होता है और सम्माननीय भी ।

किसी भी जातक को Litigation में आने की स्थिति अधिकतर 6,8,12 से सम्बन्ध रखने वाले शनि , राहु, केतु ग्रहों की दशाकाल में ही घटित होता है , जब भी जातक की उक्त ग्रहों की दशा प्रारम्भ हो और ग्रहों का सम्बंध 6,8,12 भावो से हो तो सावधान होकर कार्यो को गति देनी चाहिए, एवं कुंडली के अनुकूल सार्थक उपायों को जीवन मे धारण करना चाहिए जिससे नुकसान की गति कम कर सके। जातक के मुकदमे बाजी में फंसने के बाद जब भी 6,10,11 भावो से सम्बन्ध रखने वाले ग्रहों की दशा अंतर काल आएगा जातक उन आरोपो पर बरी हो जाएगा। 



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