ketu and pisces VASTUANKIT 8789364798

ketu and pisces vastu ankit 8789364798 पाराशर् होरा शास्त्र के अनुसार केतु की ऊर्जा श्री हरी विष्णु के दिव्य् मत्स्य अवतार की अभिव्यक्ति है केतु electricity से भी connected है और मीन् राशि से भी जैसे सभी ग्रहो में केतु अंतिम है ठीक उसी तरह मीन राशि सभी राशियों में अंतिम है और दोनों जीवन के बाद अंत को दर्शाते है ,सभी कर्मो से मुक्ति और स्वतंत्रता को भी जैसे केतु सभी ग्रहो मे आध्यात्मिक है और detachments देता है वैसे ही सभी राशियों में मीन आध्यात्मिक राशि है और कोई भी ग्रह मीन् राशि में एक तरह के दुनियावी detachment को ही दर्शाता है l केतु हमारी intuitive powers को दर्शाता है ,हमारे दिमाग् मे गूज रही अवाजो और् logic के बद्ले अपनी भावनाओं को सुन पाने की क्षमता प्रदान करता है ,इसी लिए केतु एक headless planet है l मतस्य् अवतार की कथा में राजा सत्यव्रत और मछली के बीच संवाद है एक छोटी सी मछली विशालकाय् रूप धारण कर लेती है और राजा सत्यव्रत उलझन में पड़ जाते हैं और श्री हरी विष्णु जी की लीला को समझ जाते हैं व् खुद को समर्पण करके उनसे प्रार्थना करते है इस कथा में मछली का लगातार विशालकाय् होना हमारी चेतना के आध्यात्मिक पथ पर् बढ़ते रहने का उदाहरण है ,जब हम राजा सत्यव्रत की तरह खुद को Surrender कर देते हैं l जब हम जीवन के हर अनुभव का और हर अतिथि का अभिवादन करते हैं और स्वयं के surrender का भाव रखते हैं l और जब हम समझने लगते हैं की ईश्वर स्वयं अनेकों रूपों के माध्यम से लीला कर रहें हैं वे किसी भी रूप में है सकते हैं girl friend ,boy friend , class mate , teacher, guru, हर रूप एक सिखावन् है ये जब हम समझने लगते हैं तब् हमारी चेतना का तेजी से विस्तार होता है हमारी आत्मा का अंतिम लक्ष्य है लौकिक चेतना के सागर में मिल जाना l इस कथा में मछली के रूप में श्री विष्णु जी की जो असुविधा है वह् केतु की ऊर्जा को दर्शाती है लौकिक असंतोष (Divine discontenment ) जो की हमें माया की limitations से परे धकेलता है l जिस तरह मत्स्य अवतार में मछली कम पानी होने की वजह से dissatisfy थी ठीक इसी तरह से जीवन में कुछ रहस्यमय (कमी) होने की भावना केतु पैदा करता है l और जब माया के जगत में मन में लौकिक असंतुष्टी की भावना जागती है तब ही आत्मा जीवन में कुछ गहरे की तरफ खोज करती है l इसी लिए inventions यानी अविष्कार भी केतु से ही देखें जाते हैं l लेकिन दुर्भाग्य वश् जब केतु की energy समझ से बाहर हो तब व्यक्तियों में जबरजस्त असंतुष्टी पैदा होती है और यह जरूरत से ज्यादा किसी चीज़ की लत और नशे का कारण बनती है l और केतु की पीड़ित होने से 12वे भाव के कारकतत्व् भी पीड़ित है जाते हैं और लोग Bed pleasures को अपना addiction बना लेते है और sex के माध्यम से जो शुन्यता (orgasm) की भावना मिलती है उसे ही लौकिक सुख समझने लगते हैं l जहाँ भरोसा और समर्पण है ,ईश्वर बुरे से बुरे समय में हमेशा वहाँँ जाकर राह दिखाते हैं जैसे की उन्होंने राजा सत्यव्रत् के लिए मत्स्य अवतार में नाव भेजी थी l जबकि वो नौका कुछ नहीं बल्कि एक silent hint है , की कैसे मुश्किल समय में भी हम अपने चित्त को ईश्वर से कैसे connect करना चाहिए l

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