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Showing posts from November, 2020

आखिर क्यों नुकसानदायक है "पूर्व दक्षिण पूर्व" दिशा (वास्तु अंकित 8789364798)

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Vastu Tips : आखिर क्यों नुकसानदायक है "पूर्व दक्षिण पूर्व" दिशा (वास्तु अंकित 8789364798) पूर्व दक्षिण पूर्व (ESE - East of South East ) यानी मंथन जोन (Churning) पूर्व और दक्षिण पूर्व दिशा के मध्य में पड़ता है। यहां बैठने या कार्य करने से चिंता, बेताबी या व्यग्रता बढ़ती है। जहां एक तरफ यहां पर नाम, विश्वसनीयता और सच का साथ मिलता है, वहीं इसके बिलकुल विपरीत झूठ और ईर्ष्या के गुण भी विकसित हो जाते हैं। किसी व्यक्ति की भोग विलास की प्रवृति भी यहां द्वार होने से पर बढ़ जाती है। निर्णय लेने की क्षमता का ह्रास होता है। विदित हो कि दिशाएं हमेशा घर या दफ्तर/ भवन के केंद्र से देखी  जाती है। इस दिशा जोन में अगर प्लाट बढ़ा हुआ हो या कटा हुआ हो तो बहुत व्यक्तिगत और आर्थिक हानि होने की सम्भावना रहती है। इसकी वजह से व्यक्ति ज़्यादा भावुक हो जाता है और ऐसी दशा में सही निर्णय लेने की क्षमता का ह्रास भी होता है। इस दिशा जोन में बने कमरों में दंपत्तियों को कतई नहीं सोना चाहिए वरना हर समय उनमें मतभेद होते रहेंगे तथा वाद-विवाद रहेंगे।   इस दिशा जोन का रंग हरा होता है तथा तत्त्व वायु। द्वार पूर्व 6 तथ...

अगर पूर्व की ओर है घर का मेन गेट तो अपनाएं ये वास्तु टिप्स श्री गणेशाय नम: (वास्तु अंकित 8789364798)

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अगर पूर्व की ओर है घर का मेन गेट तो अपनाएं ये वास्तु टिप्स लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है, जिसमें वास्तु शास्त्र की भी अहम भूमिका है. हालांकि वास्तु शास्त्र के जानकार मानते हैं कि सभी दिशाएं अच्छी होती हैं और इस मामले में काफी भ्रम हैं. उदाहरण के तौर पर, दक्षिण और पश्चिम की ओर जो संपत्ति होती है, वह मालिकों के लिए कम शुभ मानी जाती है जबकि पूर्व की ओर जिस प्रॉपर्टी का मुंह होता है, वह उसमें रहने वालों के लिए भाग्यशाली होती है. कई बार लोग वास्तु शास्त्र के अनुकूल घर के लिए ज्यादा पैसे देने के लिए भी तैयार रहते हैं. लेकिन क्या यह इस लायक है? चलिए जानते हैं. पूर्व की ओर मुंह वाला घर क्या है? अगर आप घर के अंदर हैं और घर के मुख्य द्वार पर खड़े हैं और घर से निकलते वक्त जिस दिशा में आपका मुख है. अगर घर से निकलते वक्त आपका मुख पूर्व की ओर है तो आपका ईस्ट-फेसिंग हाउस है. क्या पूर्व की ओर मुंह वाले घर अच्छे होते हैं? ऐसा माना जाता है कि जो घर पूर्व दिशा की ओर होते हैं, वे भाग्यशाली होते हैं. जो घर पूर्व दिशा में बड़े और निचले स्तर पर होते हैं, वे ज्यादा सौभाग्यशाली होते हैं. ईस्ट-फेसिंग प्रॉपर्टी क...

श्री गणेशाय नम: (वास्तु अंकित 8789364798)

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 श्री गणेशाय नम: श्री साईनाथाय नम: 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 वास्तूशास्त्राविषयी  महत्वाचे कोणतीही वास्तु बांधतांना प्लॉट चौकोनी किंवा आयताकृती असावा. नमस्कार दोस्तो आज हम देंखेंगे की जब मंगल खराब होता है तो उसका क्या प्रभाव जिंदगी में आता है:-  1. अगर आप जल्दी जल्दी बोलते हैं और सामने वाला समझ ही नहीं पाता कि आपने क्या बोला। 2.आपकी हड्डियां ज्यादातर दर्द करती रहती हैं। 3.आपका रक्तचाप(BP) अक्सर बढ़ा हुआ रहता है और गुस्सा भी अधिक आता है। 4. आपकी अपने छोटे भाई/ साला से कम बनती है। 5.आपको अक्सर लोहे से चोट लगती रहती है। 6.आपको लाल रंग अधिक पसंद है   7.आपको तीखा खाना अधिक पसंद है और मल-मूत्र मार्ग में जलन रहती है। 8.आपके कंधे और बाजू में बेवजह दर्द रहता है। उपरोक्त में से कोई एक या अधिक लक्षण हमें पता चलता है कि हमारा मंगल खराब हो रहा है। मंगल को भी कर्क राशि में नीच का माना गया है, लेकिन सबसे अधिक खराब प्रभाव मंगल तुला राशि में देता है। अगर मंगल तुला राशि में है तो उपरोक्त लक्षणों की अधिकता देखी गई है। मंगल को मकर में  उच्च राशि का कहा गया है, अगर मंगल मकर का होकर 2,8,12...

शनि देव VASTU ANKIT 8789364798

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 श्री हरि जय सिया राम ,  शनि देव =                वैदिक ज्योतिष में शनि देव को पाप ग्रह बताया गया और यह सूर्य से बहुत दूर है और अंधकार प्रिय है इनके बारे में ज्यादा जो भी पड़ते है या ज्यादा बुरा ही सुनने को मिलता है इनके बारे में , और यह अंधकार  है सूर्य से दूर है तो मद गति ग्रह है यही सबसे ज्यादा समय तक एक राशि मे रहते है जब चन्द्र राशि मे यह आता है जब साढे साती लगती है जो प्रायः दुखदायक समय ही होता है और शनि देव अंधकार कोई वहां पे चमक दमक नही और यह भी अकेले सबसे दूर जो है सूर्य से ,तो जब यह हमारे मन का कारक चन्द्रमा है उसके साथ हो मन मे वैराग्य उतपन करता है भोग विलास की इच्छा रखने वाले को तो यह योग अच्छा नही लगता है पर जो आध्यात्मिक लोग है या आध्यात्मिक दृष्टि  से यह योग अच्छा है और यह अनुभव ही है कि जिनका चन्द्रमा शनि देव के साथ हो , उनका  वैराग्य हो जाता है और  भोग विलास में रुचि कम होती है वैसे तो भाग्य 9 भाव मे पाप ग्रह बुरा फल देते है मगर जब 9 भाव मे शनि और गुरु का युति या दृष्टि से सम्बद हो यह योग जातक को आध्या...

व्यापार व कारोबार में वृद्धि के टोटके VASTU ANKIT 8789364798

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 व्यापार व कारोबार में वृद्धि के टोटके यदि किसी के व्यापार में वृद्धि नहीं हो रही है और व्यापार व कारोबार में वृद्धि के उपाय टोटके प्राप्त करना चाहते हो तो व्यापार में उन्नति के टोटका/मंत्र का प्रयोग कर वृद्धि प्राप्त कर सकते है| अपने कारोबार में कभी-कभी काफी कोशिश करने पर भी सफलता मिलने में परेशानी होती है. आप देखते हैं कि आपका प्रयास तो सही है लेकिन इसके बावजूद आपको अपेक्षा के अनुरूप सफलता नही मिल पाती है. अगर आपको किसी भी कारण से आपको अपने व्यापार में कठिनाई आने लगे, तो आप शीघ्र ही व्यापार व कारोबार में वृद्धि के उपाय कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं| व्यापार में परेशानी के व्यावारिक कठिनाइयों के साथ-साथ ज्योतिषिक परेशानी या दोष भी होता है. अगर किसी गृह का प्रभाव ग़लत हो या आपके घर, ऑफिस या दूकान में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो जाए तो व्यापार और धंधे में हानि होने लगती है. यहाँ पर व्यापार में सफलता के उपाय दिए जा रहे हैं जो निश्चित ही आपको कारोबार में लाभ पहुचाएंगे| व्यापार व कारोबार में वृद्धि के उपाय टोटके आप गोमती चक्र के प्रयोग से व्यापार में उन्नति के लिए अचूक टोटका कर सकते हैं. ...

गायत्री मंत्र VASTU ANKIT 8789364798

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 देवी-देवता के गायत्री मंत्र  ।  'ऊं भूर्भुव: स्व:  तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।  धियो यो न: प्रचोदयात्।। '  को अत्‍यंत प्रभावी मंत्रों में से एक माना गया है। इस का अर्थ होता है क‍ि 'सृष्टिकर्ता प्रकाशमान परामात्मा के तेज का हम ध्यान करते हैं, परमात्मा का वह तेज हमारी बुद्धि को सद्मार्ग की ओर चलने के लिए प्रेरित करें। संपूर्ण  गायत्री मंत्र  ॐ भूः ॐ भुवः ॐ स्वः ॐ महः, ॐ जनः ॐ तपः ॐ सत्यम्। ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। ॐ आपोज्योतीरसोऽमृतं, ब्रह्म भूर्भुवः स्वः ॐ। गायत्री मंत्र वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्वता ॐ के बराबर मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है।  आर्ष मान्यता के अनुसार गायत्री एक ओर विराट् विश्व और दूसरी ओर मानव जीवन, एक ओर देवतत्व और दूसरी ओर भूततत्त्व, एक ओर मन और दूसरी ओर प्राण, एक ओर ज्ञान और दूसरी ओर कर्म के पारस्परिक संबंधों की पूरी व्याख्या कर देती है।  सभी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के लिये उनके अलग-अलग...

बुध का महत्व VASTUANKIT 8789364798

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 💢🚩ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 'बुध' ग्रह का जात​क के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है?💢🚩   💥ज्योतिष में बुध का महत्व💥 ज्योतिष के अनुसार, बुध अन्य गुणों के साथ व्यक्ति की आवाज को नियंत्रित करता है। बुध एक शांत और रचना प्रकृति है। भगवान विष्णु बुध ग्रह पर शासन करते हैं। बुध की महा दशा की अवधि 17 वर्ष है। बुध अन्य ग्रहों के गुणों को अपनाता है और संबंधित परिणाम देता है। 💐बुध वायु तत्व पर शासन करता है। एक मजबूत बुध व्यक्ति को एक अच्छा रणनीतिकार बनाता है। ऐसा व्यक्ति आमतौर पर अच्छा व्यवहार करता है। बुध बुद्धि, शिक्षा, मित्र, व्यवसाय, पेशा, गणित, विज्ञान, ज्ञान, आवाज, प्रकाशन, शिक्षक, प्राध्यापक, व्याख्याता, फूल, लिखित संचार, भतीजा, मोती, हास्य, सहजता आदि से जुड़ा हो सकता है। ।💐 💐सूर्य और शुक्र बुध के अनुकूल हैं। चन्द्रमा बुध ग्रह का शत्रु है। बुध शनि, मंगल और बृहस्पति की ओर उदासीन है। बुध मिथुन और कन्या राशियों का स्वामी है। जब बुध कन्या राशि में होता है तो वह 15 से 20 डिग्री तक exalted होता है। मीन राशि में बुध debilitated होता है। बुध उत्तरी दिशा पर शासन करता है। इसके पसंदीदा ...

शनि गुरु का सम्बंध VASTU ANKIT 8789364798

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 #शनि_गुरु_का_सम्बंध_अर्थात_कर्म_प्रचारित_होना  #मुकदमेबाजी_में_फंसना_सजा_होना_जेल_जाना_और #मुदमेबाजी_में_बरी_होना_सजा_से_मुक्त_होना_जानिए_कैसे- जब भी जातक की कुंडली में लग्न कुंडली से शनि या गुरु की राशि में गोचर में शनि गुरु की युति हो जाए या शनि गुरु का दृष्टि सम्बन्ध बन जाए तो या शनि गुरु की राशि मे और गुरु शनि की राशि मे 1 अंश के अंतर पर आ जाए तो निश्चित है उस गोचरकाल मे जातक द्वारा किये गए कर्मो का खुलासा हो ही जाता है , फिर कर्म चाहे जैसे हो । अगर गुरु उत्तम है कुंडली में तो मार्ग सही मिलेगा और शनि प्रभावी है तो दण्ड प्रखर होगा। इसका कारण है गुरु धर्म - कर्म का स्वरूप है , और शनि न्याय है कर्म का कारक है जब शनि गुरु एक दूसरे से गोचर में मिलते है तो गुरु आचार्य का कार्य करते हुए गलतियों को सुधारने के लिए प्रेरित मार्ग उतपन्न करता है और शनि कर्मो का मूल्यांकन कर पूर्व कर्मो का दण्डविधान निश्चित करता है , ताकि जातक पश्चाताप कर पूर्व कर्मबन्ध से बाहर आ सके और पुनः सात्विक गुरु पद्धति को अपना सके, निश्चित है पश्चाताप तभी होगा जब कर्म जगजाहिर होंगे । किसी जातक की कुंडली मे शन...
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मंगलवार के उपाय vastu ankit 8789364798 : केवल इस एक काम को करने से दूर हो सकती है पैसों की समस्या ! हिन्दू धर्म के अनुसार मंगलवार के दिन को खासतौर से हनुमान जी का दिन माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि मंगलवार के दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा आराधना करने से व्यक्ति विद्या, बुद्धि और बल के साथ ही धन की प्राप्ति भी कर सकता है। इसके साथ ही जीवन में आने वाले संकटों से भी छुटकारा पाया जा सकता है। आजकल के आधुनिक युग में पैसा हर व्यक्ति के जीवन यापन के लिए बेहद आवश्यक है। ईश्वर के बनाये इस संसार में सभी व्यक्ति एक समान नहीं हैं, किसी के पास बेशुमार धन है तो किसी के लिए एक वक़्त के खाने का जुगाड़ कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। आज हम आपको मंगलवार के दिन किये जाने वाले कुछ ऐसे उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आज़माकर आप अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं। सभी नवग्रहों में सबसे क्रूर ग्रह माना जाता है मंगल आपको बता दें कि ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सभी नवग्रहों में मंगल ग्रह को सबसे ज्यादा क्रूर ग्रह माना जाता है। जीवन पर इस ग्रह की बुरी दृष्टि पड़ने से व्यक्ति विभिन्न समस्याओं से ग्रस...
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(वास्तु अंकित 8789364798)

ketu and pisces VASTUANKIT 8789364798

ketu and pisces vastu ankit 8789364798 पाराशर् होरा शास्त्र के अनुसार केतु की ऊर्जा श्री हरी विष्णु के दिव्य् मत्स्य अवतार की अभिव्यक्ति है केतु electricity से भी connected है और मीन् राशि से भी जैसे सभी ग्रहो में केतु अंतिम है ठीक उसी तरह मीन राशि सभी राशियों में अंतिम है और दोनों जीवन के बाद अंत को दर्शाते है ,सभी कर्मो से मुक्ति और स्वतंत्रता को भी जैसे केतु सभी ग्रहो मे आध्यात्मिक है और detachments देता है वैसे ही सभी राशियों में मीन आध्यात्मिक राशि है और कोई भी ग्रह मीन् राशि में एक तरह के दुनियावी detachment को ही दर्शाता है l केतु हमारी intuitive powers को दर्शाता है ,हमारे दिमाग् मे गूज रही अवाजो और् logic के बद्ले अपनी भावनाओं को सुन पाने की क्षमता प्रदान करता है ,इसी लिए केतु एक headless planet है l मतस्य् अवतार की कथा में राजा सत्यव्रत और मछली के बीच संवाद है एक छोटी सी मछली विशालकाय् रूप धारण कर लेती है और राजा सत्यव्रत उलझन में पड़ जाते हैं और श्री हरी विष्णु जी की लीला को समझ जाते हैं व् खुद को समर्पण करके उनसे प्रार्थना करते है इस कथा में मछली ...

दक्षिणा देने से ही क्यों मिलता है धार्मिक कर्मों का फल (वास्तु अंकित 8789364798)

🎍” दक्षिणा ” देने से ही क्यों मिलता है धार्मिक कर्मों का फल.🎍वास्तु अंकित 8789364798 बहुत मेहनत और खोजने के बाद ये मिला है कृपया पूरी पोस्ट पढ़ने का कष्ट करें। यजुर्वेद में एक बहुत सुंदर मन्त्र(१) है, वह कहता है ब्रह्मचर्य आदि व्रतों से ही दीक्षा प्राप्त होती है अर्थात् ब्रह्मविद्या या किसी अन्य विद्या में प्रवेश मिलता है। फिर दीक्षा से दक्षिणा अर्थात् धन समृद्धि आदि प्रतिष्ठा प्राप्त होती है। यहाँ दक्षिणा मिलने का अर्थ है दक्षिणा देना, वेद ने यही माना है कि जो देता है उसे देवता और अधिक देते हैं। जो नहीं देता है, देवता उसका धन छीनकर दानियों को ही दे देते हैं।(२) फिर कहता है दक्षिणा से श्रद्धा प्राप्त होती है, और श्रद्धा से सत्य प्राप्त होता है।क्रम है, व्रत –> दीक्षा –> दक्षिणा –> श्रद्धा –> सत्य।मध्य में दक्षिणा है, एक बार दीक्षित हो गए, मार्ग पर बढ़ गए, और फिर दक्षिणा में लोभ किया तो मार्ग नष्ट हो जाता है। इसलिए विद्वानों, गुरु, आचार्य को दक्षिणा और पात्रों को दान देने से ही मार्ग आगे प्रशस्त होता है। दक्षिणा देने से अपने गुरु, आचार्य में श्रद्धा बढ़ती है। गुरु भी अपनी अ...

कहीं आपके कुलदेवता /कुलदेवी रुष्ट /क्रुद्ध या निर्लिप्त तो नहीं vastu ankit 8789364798

कहीं आपके कुलदेवता /कुलदेवी रुष्ट /क्रुद्ध या निर्लिप्त तो नहीं vasvastu ankit 8789364798 हिन्दू पारिवारिक आराध्य व्यवस्था में कुल देवता/कुलदेवी का स्थान सदैव से रहा है ,,प्रत्येक हिन्दू परिवार किसी न किसी ऋषि के वंशज हैं जिनसे उनके गोत्र का पता चलता है ,बाद में कर्मानुसार इनका विभाजन वर्णों में हो गया विभिन्न कर्म करने के लिए ,जो बाद में उनकी विशिष्टता बन गया और जाती कहा जाने लगा ,,पूर्व के हमारे कुलों अर्थात पूर्वजों के खानदान के वरिष्ठों ने अपने लिए उपयुक्त कुल देवता अथवा कुलदेवी का चुनाव कर उन्हें पूजित करना शुरू किया था। एक आध्यात्मिक और पारलौकिक शक्ति कुलों की रक्षा करती रहे जिससे उनकी नकारात्मक शक्तियों/उर्जाओं और वायव्य बाधाओं से रक्षा होती रहे तथा वे निर्विघ्न अपने कर्म पथ पर अग्रसर रह उन्नति करते रहे। यह कुलदेवता कुछ ऐसी ऊर्जा होते हैं जो उच्च स्तरीय दैवीय शक्तियों और मनुष्य के बीच सेतु का कार्य करते हैं अर्थात इनकी गति स्वर्ग और ब्रह्माण्ड से लेकर पृथ्वी तक होती है।यही मनुष्य द्वारा की जा रही पूजा आराधना को देवताओं तक पहुंचाते हैं और साथ ही अपने कुल की सुरक्षा भी करते है...

आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है VASTU ANKIT 8789364798

शनिवार के दिन *आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है शनिदेव की पूजा करने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है. साथ ही जिन लोगों पर साढ़ेसाती चल रही होती है वह भी सही हो जाता है. कहा जाता है कि शनिदोष से मुक्ति के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके सात शनिवार तक शनिदेव की पूजा करने के साथ साथ व्रत रखने चाहिए. पूर्ण नियमानुसार पूजा और व्रत करने से शनिदेव की कृपा होती है और सारे दुख खत्म हो जाते हैं. शनिदेव के क्रोध से बचना बेहद जरूरी होता है नहीं तो मनुष्य पर कई तरह के दोष लग जाते हैं. इसके अलावा उनकी पूजा करते समय भी कई तरह की बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं कौन सी हैं वो बातें.-काले वस्त्रों और काली वस्तुओं का करें दान- ज्‍योतिष शास्‍त्र के VASTUANKIT 8789364798 अनुसार शनिदेव की पूजा करते समय कुछ नियमों को ध्‍यान में रखना बेहद जरूरी होता है. सबसे पहले व्रत के लिए शनिवार को सुबह उठकर स्नान करना चाहिए. उसके बाद हनुमान जी और शनिदेव की आराधना करते हुए तिल, लौंगयुक्त जल को पीपल के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए. फिर शनिदेव की प्रतिमा के सम...

*आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है VASTUANKIT 8789364798

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  *आइये जानते है कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है* VASTU ANKIT 8789364798  *सोना* VASTU ANKIT 8789364798 ☄सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है। *चाँदी* ☄चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है। *कांसा* ☄काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं। *तांबा* ☄तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध...
 दीपावली पर देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए 31उपाय :~~~~~ शास्त्रों के अनुसार कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं जो दीपावली के दिन करने पर बहुत जल्दी लक्ष्मी की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। यहां लक्ष्मी कृपा पाने के लिए 31 उपाय बताए जा रहे हैं और ये उपाय सभी राशि के लोगों द्वारा किए जा सकते हैं। 1. दीपावली पर लक्ष्मी पूजन में हल्दी की गांठ भी रखें। पूजन पूर्ण होने पर हल्दी की गांठ को घर में उस स्थान पर रखें, जहां धन रखा जाता है। 2. दीपावली के दिन यदि संभव हो सके तो किसी किन्नर से उसकी खुशी से एक रुपया लें और इस सिक्के को अपने पर्स में रखें। बरकत बनी रहेगी। 3. दीपावली के दिन घर से निकलते ही यदि कोई सुहागन स्त्री लाल रंग की पारंपरिक ड्रेस में दिख जाए तो समझ लें आप पर महालक्ष्मी की कृपा होने वाली है। यह एक शुभ शकुन है। ऐसा होने पर किसी जरूरतमंद सुहागन स्त्री को सुहाग की सामग्री दान करें। 4. दीपावली की रात में लक्ष्मी और कुबेर देव का पूजन करें और यहां दिए एक मंत्र का जप कम से कम 108 बार करें। मंत्र: ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रववाय, धन-धान्यधिपतये धन-धान्य समृद्धि मम देहि दापय स्वाहा। 5. दीपा...

तंत्र जगत में डाकिनी (VASTU ANKIT 8789364798)

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डाकिनी   अति प्रचलित है   VASTU ANKIT 8789364798   शब्दिक अर्थ श्मशान आदि की देवी, एक पिशाचिनी या देवी जो  काली  के गले में समझी जाती है, भूत-प्रेत योनि की स्त्री। कबीर माया  डाकिनी , सब काहू को खाय दांत उपारुं पापिनी, सन्तो नियरै जाय। धार्मिक मान्यतानुसार  डाकिनी  को छिन्नमस्तिका देवी का रक्तपान करते हुए बताया गया है।  बौद्ध धर्म बौद्ध धर्म  में  डाकिनी  को  वज्रयोगिनी  कहा गया है। मुख्य लेख  :   वज्रयोगिनी   तंत्र जगत में डाकिनी का नाम अति प्रचलित है   VASTU ANKIT 8789364798   |सामान्यजन भी इस नाम से परिचित हैं |डाकिनी नाम आते ही एक उग्र स्वरुप की भावना मष्तिष्क में उत्पन्न होती है |वास्तव में यह ऊर्जा का एक अति उग्र स्वरुप है अपने सभी रूपों में |डाकिनी की कई परिभाषाएं हैं |डाकिनी का अर्थ है --ऐसी शक्ति जो "डाक ले जाए "|यह ध्यान रखले लायक है की प्राचीनकाल से और आज भी पूर्व के देहातों में डाक ले जाने का अर्थ है -चेतना का किसी भाव की आंधी में पड़कर चकराने लगना और सोचने समझने...